इस अध्याय में भगवान शिव और देवी सती के विवाह के पश्चात उनके कैलाश लौटने की कथा वर्णित है। विदाई के समय दक्ष द्वारा सम्मानपूर्वक आशीर्वाद, देवताओं द्वारा स्तुति, शिव-सती की शोभायात्रा और विवाह के महात्म्य का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह अध्याय विवाह के धार्मिक महत्व और शिवभक्तों के लिए इस कथा के पुण्यफल की व्याख्या करता है।
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