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Shiv Puran Katha in Hindi

शिव पुराण: संध्या की तपस्या | श्रीरुद्र संहिता | अध्याय 6

7 min • 17 februari 2025
अध्याय विवरण:इस अध्याय में संध्या की कठोर तपस्या और भगवान शिव द्वारा दिए गए वरदानों का वर्णन किया गया है। संध्या, जो मोक्ष प्राप्त करना चाहती थी, ने शिवजी की घोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें चार अवस्थाओं (शैशव, कौमार्य, यौवन, वृद्धावस्था) का विधान बताया और वरदान दिया कि जो भी उन्हें कामभाव से देखेगा, वह नपुंसक हो जाएगा।शिवजी ने संध्या को अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण करने के लिए अग्नि में समर्पित होने का आदेश दिया। चंद्रभागा नदी के तट पर स्थित मेधातिथि ऋषि के यज्ञ में प्रवेश कर संध्या ने अपने शरीर का त्याग किया और यह प्रतिज्ञा की कि वे अपने इच्छित स्वरूप में पुनर्जन्म लेंगी।इस प्रकार, संध्या की तपस्या सफल हुई, उन्हें शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ और वे पुनर्जन्म के लिए तत्पर हो गईं।
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